शनिवार, 4 जुलाई 2009

Pyaar-The Ultimate Choice- IInd Part

Pyaar-The Ultimate Choice :
Pyaar....! समय करवट बदलता है और उसका वह प्रिय बचपन की सीढ़ी साल दर साल आगे को बढने पर ज़िन्दगी मे प्यार को कम नहीं करती है उसका लाल हमेशा उसकी आँख का तारा ही रहता है उसके (बच्चे) के बदन किसी भी हिस्से में चोट लगने पर माँ को भी उसी दर्द सा एहसास होता है !

अब आता है हालात में बदलाव का समय जब वह अपनी परिपक्वता (जवानी) की सीढ़ी पर कदम रखता है और किसी न किसी मोड़ या मुकाम पर वह किसी की तरफ आकर्षित (खिचता) होता है यही पर उसकी माँ और नया आगंतुक (आने वाला या आने वाली) के बीच किरणों के बटवारे का एक संघर्ष (टकराव) शुरू होता है नई किरणों पुरानी किरणों पर कही न कही भारी नई किरणों पुरानी किरणों पर कही न कही भारी पड़ती है कभी कभी नई किरणों पुरानी किरणों में ताल मेल बैठ जाता है और एक दूसरे में मिश्रित( समायोजित) हो जाती है ! इन हालत में प्यार और फलता फूलता है लेकिन कभी कभी नई किरणों पुरानी किरणों में ताल मेल नहीं बैठता है और हालात बद से बदतर होते जाते है इन हालत में विवेक (बुद्धि) ही एक सहारा होता है ! जो घृणा, नफ़रत, द्वेष को दूर कर सकती है ! इतिहास गवाह है नफ़रत ही नुकसान की तरफ ले जाती है इसी लिए कहा गया है विनाश काल विपरीत बुद्धि यानि यहाँ मै यह नहीं कहता कि हमेशा प्रेमिका या जीवन साथी ही गलत होती है कभी कभी माँ भी अपनी बच्चे के विचारो को समझ नहीं पति है और उसका विरोध करती है ! यह तो हुआ प्यार का एक रूप, एक नमूना चलिए अब दूसरे रूपों का भी अध्ययन (जाँच ) करे
एक नवजवान जिसने अपनी शिक्षा ( पढाई ) पूरी कि और उसमे जीवन में कुछ अलग करने का इरादा है उसने अपने दिमाग मै कुछ सपने सजो रखे है उनको पूरा करने के लिए कुछ वादों इरादों और मकसद के साथ अनजान और पटरी ! यह प्यार है उस इंसान (मर्द या औरत) का अपने भविष्य (मुस्तकबिल) के लिए, वह पथरीली और ऊबड़ खाबड़ रास्तो में से गुज़रता हुवे अपने लक्ष्य कि तरफ चलता रहता है उसके जीवन में ऊच नीच, भले बुरे सभी लोगो से सामना होता है पर वह चलता जाता है चलता जाता है....! कभी कभी यह प्रेम उसको अच्छे रास्ते पर और कभी ना लौटने वाले रास्ते पर जिसे हम आम भाषा में एकल प्रविष्टि (सिंगल एंट्री या वन वे) जहा से यू- टर्न नाम कि कोई चीज़ नहीं होती है ! अपने लक्ष्य (मकसद) के पीछे- पीछे भागने ही उसका प्रेम दिखता है वह इंसान को कभी कभी महान न्यूटन या अबू कलम बनती है तो कभी उसी इंसान को हिटलर या लादेन का रूप दे देता है ! यह प्यार (जूनून) ही तो था जिसने एक अदना जैसे आम आदमी स्वर्गीय धीरू भाई अम्बानी, जो खाडी के एक देश में पेट्रोल पम्प पर काम करते हुवे एक सपना देखा और इस सपने को पाने का जूनून (प्रेम) ही था जिसने उनको रिलायंस रुपी साम्राज स्थापित करने कि तरफ ले गयी उस सपने के अद्भुत जूनून ( प्रेम) ने उनको भारत ही नहीं विश्व के अमीर लोगो कि कतार (लाइन) में ला दिया. यह ही अद्भुत जूनून ( प्रेम) का एक ज्वलन उदहारण.....

प्यार का अगला उदाहरण (मिसाल) सर्व-श्रेष्ठ, उत्कृष्ट है जिसमे अपना प्रत्यक्ष (सीधा) लालसा न होकर अपने वतन के लिए मर मिटने कि भावना (प्यार) ............ जीवन में जब कुछ लोग अपनी जीविका (रोज़ी-रोटी) का रास्ता डॉक्टर, इंजिनियर, वैज्ञानिक बने कि तमन्ना रखना है वही कुछ लोगो का प्यार किसी और चीज़ से बढकर अपनी मातृभूमि (जन्म-स्थान) के लिए होता है यह वो प्यार कि दशा (स्थिति) होती है जहा मिलने से ज़यादा खोने का ज्ञान होता है फिर भी वो उस प्यार कि तरफ लगातार बढता रहता है
विश्व का इतिहास मातृभूमि के लिए मेर मिटने वालो से भरा पड़ा है यहाँ पर मै कुछ उदहारण देने की ज़रुरत समझता हूँ हमारा भारत देश विश्व का सर्व्श्रेष्ट्र देश है इसकी आज़ादी के लिए हजारो माँ के लालो ने अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान की कुर्बानी हँसते-हँसते दे डाली और उनके मुँह से सिर्फ एक ही नारा था भारत की जय हो , जय हिंद, या वन्दे मातरम आखिर उनके भी परिवार था उनकी भी कुछ आशाये थी उनके भी कुछ सपने थे वे भी दूसरो की तरह अपनी घरो मै चैन से सो सकते थे पर उनका प्यार आपने परिवार से कही ऊपर अपनी
मातृभूमि के लिए था ! भगत सिंह, चन्द्र शेखर आज़ाद, बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान , लाला लाजपत राय, हमीद जो आपने देश के लिए अमर हो गए अपनी युवा अवस्था में ही जलियावाला बाग़ के कारण ही उनकी अंतर आत्मा ने उनको अंदर से हिला दिया और वह अंग्रेजो से बदला लेने और आपने देश के लिए कुछ करने के लिए आगे चल पड़े उस युवा अवस्था मै उनके उम्र के युवाओ में अपने भविष्य (मुस्तकबिल) का जुनून होता है लेकिन उनका जूनून या प्यार तो भारत था ! यहाँ पर मै एक और उदहारण देना चाहूगा भारत और पाकिस्तान का वो भीषण युद्घ जहा पर सिर्फ गोलियो और बारूदों के अलावा कुछ भी न दिखाई और सुने दे रहा था लेकिन भारत का एक वीर जवान वीर अब्दुल हमीद बिना भाषा, धर्म और परिवार की फिक्र किये आगे बढता रहा सिर्फ इस लिए की उसका प्यार और जूनून आपने देश के लिए था न की भाषा, धर्म और परिवार !....... एक एक करते हुवे उसने विरोधियो के कई टंक नष्ट केर दिया और अपनी जान की परवाह किये बिना वह अपनी सरज़मीन ( मातृभूमि) के लिए मिट गया यह है वह अमर प्रेम ....!
अवुल पकिर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम यानि डॉक्टर अब्दुल कलाम जिनका जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में हुआ था ! वह भारत में मिसाइल मैन के रूप में लोकप्रिय है उन्हें भारत की बैलिस्टिक मिसाइल और राकेट अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास पर अपने काम के लिए जाना जाता है भारत में उन्होंने उच्च एक वैज्ञानिक और एक इंजीनियर के रूप में सम्मान करते है यह अब्दुल कलाम का देश के लिए प्यार था जो उम्र भर देश की सेवा में लगे रहे उनका एक लेख मैंने पढ़ा था जिसमे उन्हों ने अपने जीवन की एक महत्पूर्ण बात बताई थी वह अपने प्रौद्योगिकी प्यार में इतना लिप्त ( रम ) गए की उनके जीवन में युवा अवस्था से वृद्ध कब हो कर चली गयी उनको पता ही नहीं लगा उन्हों ने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में इतना गुम हो गए की उन्हों ने इसको ही अपना जीवन, लक्ष्य और अर्धांग्नी बना लिया …..

The next lines……on the next blog…Israr Ahmad

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

फ़ॉलोअर