रविवार, 21 जून 2009

प्यार के विभिन् रंग -The Ultimate Choice

प्यार है ना चौकाने वाला शब्द जो रिश्तो को दिखता है जो आपको-हमको और हम सब को जीने की राह दिखता है आज हो या अतीत नवीन हो या पुराण सभी युगों में इसने आपने कई रंगों की छाप इतिहास पर छोड़ी इसने मनुष ही नहीं देवी- देवता को भी अपनी चमक से नहीं छोड़ा ! इसने विनाश दिखाया तो विकास को भी लाया ! इसने राक्षस को मनुष और मनुष को राक्षस बनने में क्षण भर का भी समय नहीं लिया! इसी लिए यह शब्द है विचित्र और अदभुद …………. चलो आज इसकी नई भाषा- परिभाषा का मंथन करे मै यह नहीं कहता की जो भी मै कह रहा वो सब शत (100%) प्रतिशत ठीक है फिर भी शायद मेरा आंकलन, विचार या सोच ठीक हो ......! आज हम प्यार के विभिन् पहलू पर नज़र डालेगे.......!

प्यार कई भावनाओं , मजबूत स्नेह और लगाव से संबंधित एक भावना अदभुद संग्रेह है यह मानसिक (दिमाग़ी) , शारीरिक (जिस्मानी) और प्राकृतिक (क़ुदरती) तौर पर हमारी शक्ति ताकत को दिखता (उजागर ,प्रकट करता ) है ! हमारे शरीर में दिल का अपना एक अति महत्वपूर्ण स्थान है ! इसकी गति हमारे जीवन की गति है इसके रुकने से मनुष रुक जाता है इसके होने पर हमारा अस्तित्व है दिल के चार भाग होते है दो दाए-दो बाये..! यह बात तो हम सभी को पता है ! प्यार की अपनी एक भाषा होती है हालांकि प्यार की प्रकृति या प्यार का सार लगातार बहस का विषय है, इस शब्द के विभिन्न पहलुओं क्या प्यार नहीं है निर्धारित करने से स्पष्ट किया जा सकता है एक सामान्य अभिव्यक्ति के रूप में प्यार एक मज़बूत कड़ी है प्यार और नफरत
विषम विषय है प्यार सामान्यतः वासना के साथ विषम है जब हम प्यार की चर्चा सार में करते है ! प्यार आमतौर पर पारस्परिक प्रेम का उल्लेख है ! प्यार एक अनुभव जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए, प्यार में अक्सर शामिल होता है लगाव एक मनुष का दूसरे मनुष के लिए ! प्यार के कई कारण हो सकते है प्यार कभी एक व्यक्ति का उसकी जन्म-भूमि ( वतन ) के खातिर हो सकता है कभी सिद्धांत या उसूल के लिये, लक्ष्य जिसके लिए वह के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसके लिए उसके अंदर एक शिदत का जूनून है उसके लिए वह पहाड़ से टकरा सकता है, समुद्र को चीर कर उस पार जाने का रास्ता बना सकता है ! यह प्यार ही है जो उसमे लगातार ना ख़त्म होने वाली शक्ति, उर्जा या ताकत भरता है और उसको समय समय पर रास्ता दिखता है. इंसान का प्यार भौतिक वस्तुओं (सामग्री, जिस्मानी, किसी वस्तु) से भी हो सकता है लेकिन भौतिक वस्तुओं का प्यार ( वस्तु - विशेष, खास) अधिकतर विनाश (बर्बादी) की तरफ ले जाता है उस वक़्त इन्सान की सोचने-समझने की पूरी ताकत ख़त्म हो जाती है आपने पराये हो जाते है दुश्मन दोस्त बन जाते है बुरी बात भली बात मे बदल जाती है . मनोविज्ञान (मानसशास्र) रूप में प्यार एक संज्ञानात्मक और सामाजिक ( मिलनसार ) घटना यहाँ हम प्यार को जन्म से मरण (पैदा होने से मरने तक) के तमाम रूपों का ज़िक्र करेगे लेकिन प्यार की शुरूआत कैसे होती है ! जहा तक मेरा माना है हर इंसान चाहे वह मर्द हो या औरत, हर एक के जिस्म के अंदर नेगेटिव और पोसितिवे (धनात्मक या ऋणात्मक, सकारात्मक या नाकारात्मक, अच्छी या ख़राब) दो तरह की किरणे (चमक, ताक़त,शक्ति या ओज) होती है और यही किरणे या शक्तिया या ताकते इंसान को इंसान की तरफ खीचती है मै यहाँ यह कहने के लिए आप सब से तहे दिल से माफ़ी मांगता हूँ ! कि शायद हमने आपने ज़िन्दगी में कभी न कभी डॉक्टर के पास एक्स-रे कराया होगा वो एक्स-रे -किरणे जो हमारे शरीर से गुज़र जाती है और हमको इसका एहसास भी नहीं होता है ठीक उसी तरह हमारे शरीर से दो प्रकार की किरणे(आकर्षित करने वाली) निकलती है अब यह सवाल उठता है की यह किस तरह से अपना प्रभाव छोड़ती है ! पूरे इतिहास, दर्शन और धर्म पर अगर नज़र डाले तो हम इस निष्कर्ष पर आते है की प्यार की घटना पर सब ने विचार (परिकल्पना, अटकलबाज़ी, चिंतन) किया है !
इंसान की इंसान के लिए प्यार का जन्म उस वक़्त शुरू हो जाता है जब उसके आने की दस्तक उसके माँ के पेट मे होती है यह प्यार का सबसे पहला अनुभव (एहसास) होता है एक माँ का अपने-अपनी आने वाली छवी दिखती है ! माँ- बाप उसके आने वाले हर पल पर अपने हर सपने को पिरोते (देखते) है माँ- बाप उसमे अपना भविष्य (आनेवाला कल) नज़र आता है ! एक माँ के पेट में उसकी सब हलचल उसको एक मीठी गुदगुदी सी लगती है उसकी हलचल से होने वाली सब पीड़ा (दर्द,कष्ट) एक मीठा एहसास करता है हालांकि माँ का पैर तो ज़मीन पर होता है पर एहसास सातवे आसमान का होता है ! यह प्यार का वह पहला अनुभव (एहसास) है जिसको हर औरत अपने जीवन में एक बार ज़रूर करना चाहती है पश्चिमी देशो के मुकाबले एशियाई देशों में इसकी अहमियत काफ़ी (ज़ियादा) होती है उसके पीछे कुछ धार्मिक (मज़हबी) और सामाजिक कारण भी होते है जो माँ होने और न होने का खट्टा-मीठा, जीवन में सुख-दुःख, निंदा-प्रशंसा एहसास करता है लेकिन जीवन की गाड़ी कभी रुक नहीं सकती इस प्यार के लम्हे न पाने का गम एक औरत का दर्द उसके चेहरे से तो नहीं लेकिन मन में जलती (धधकती) हुई आग के गोले का हर पल एहसास करता है और इस जलती हुई लौ और अधिक विस्फोटक ( भयानक) हो जाती है जब मजहबी और सामाजिक तीर लगातार उसपर छोड़े जाते है जीवन में दर्द किसी को अच्छा नहीं लगता है पर यहाँ मै यही दुआ करता हू की ओ मेरे खुदा यह दर्द (माँ बनने का)आप सभी औरतो को दे ! एक लंबे समय की पीड़ा (दर्द), संघर्ष (कशमकश) के बाद जब बच्चा या बच्ची इस ज़मीन पर आती है तो यहाँ से शुरू होता है प्रत्यक्ष (सीधे) प्यार की अनुभूति (एहसास) यानि अब माँ और बच्चे के बीच सीधा संवाद, प्यार का आदान-प्रदान, जो किरणे शरीर के अंदर एक दूसरे को अपनी तरफ खीच रही थी अब बिना किसी रोक टोक के एक दूसरे के शरीर को छूती है माँ के हाथों- ओठो का स्पर्श , संपर्क, छूना, छेड़ना, और हाथ लगाना एक दूसरे को एक अनोखा, निराला, अद्वितीय एहसास करता है जो इस दुनिया में सबसे प्यार की सब से महान, परम, बहुमूल्य और मौत तक याद रहने वाला लम्हा होता है विशेष कर एक माँ के लिए

5 टिप्‍पणियां:

पंडितजी ने कहा…

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.

IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
आज प्यार का मतलब केवल शरीर से है, लोगो की आखें केवल शरीर देखती है

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

Unknown ने कहा…

वाह भई,
थोडा वस्तुगत तरीके से सोचा जा रहा है, अच्छा लगा।

हालांकि यह कहना थोडा ठीक सा नहीं लगता, पर समय की कहने की इच्छा हो रही है कि आप समय के ब्लॉग पर "प्रेम" लेबल के अंतर्गत रखी चारों पोस्टें हो सके तो पढ़ जाईए।

शायद आपको कुछ अच्छा सा लगे।

सुस्वागतम्...

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

pyar ka pyar ke alava koi javab nahi. narayan narayan

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